कम उम्र में तेजी से क्यों बढ़ते रहे हैं मोटापा और हार्ट अटैक के मामले, कैसे करें कंट्रोल, डॉक्टरों ने दी ये सलाह

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कम उम्र में मोटापा और हार्ट अटैक की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, इसे लेकर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस महामारी को हर हाल में रोकना होगा। उन्होंने कुछ उपाय बताए हैं, जिनपर अमल करना होगा। जानें पूरी खबर…

पूरी दुनिया में मोटापा और हार्ट अटैक के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, खासकर बच्चों में मोटापा आम हो चला है। इसे लेकर वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि निष्क्रिय जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार है। इसके कारण किशोरों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और 25 वर्ष की उम्र में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब 50 प्रतिशत हार्ट अटैक के मामले 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं। दिल्ली में ही 60 प्रतिशत स्कूली बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं। इन चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का उपाय ‘ब्लू जोन’ सिद्धांतों की ओर तत्काल लौटना जरूरी है।

क्या होता है ब्लू जोन

‘ब्लू जोन्स’ दुनिया के पांच देशों को मिलाकर बनाया गया है, जिसमें ओकिनावा (जापान), सार्डिनिया (इटली), निकोया (कोस्टा रिका), ईकारिया (यूनान) और लोमा लिंडा (कैलिफोर्निया) शामिल है। यहां के लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जीते हैं और अत्यधिक सक्रिय तथा ऊर्जा से भरपूर रहते हैं। यह उनकी विशेष जीवनशैली के कारण है।

विशेषज्ञों ने दी ये सलाह, इसे जरूर अपनाएं

फोर्टिस, नोएडा के ‘इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग’ के वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख डॉ.संजीव गेहरा ने मोटापे औऱ हार्ट अटैक को ‘महामारी’ बताते हुए इसकी गंभीरता को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, “हम 25 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक के मामले देख रहे हैं, जबकि 50 प्रतिशत मामले 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण हमारी निष्क्रिय जीवनशैली है। किशोरों में 60 प्रतिशत मोटापे की दर गहराते संकट की चेतावनी है और इससे 40 वर्ष की आयु तक अंगों को भारी नुकसान पहुंच सकता है। हमें 25 वर्ष से प्रारंभ होने वाले निवारक जांचों पर ध्यान केंद्रित करना होगा और सरल ‘ब्लू जोन’ सिद्धांत अपनाना होगा।”

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ.जी.एस.ग्रेवाल ने दलील दी कि ब्लू जोन भी सही है लेकिन हमें एक वास्तविक ‘पिंक जोन’ तैयार करना होगा जिसमें जीवनशैली में बदलाव करना, समय पर बिमारी की पहचान करना और टीकाकरण को अपनाना शामिल हो।”

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की पूर्व मुख्य डायटीशियन डॉ रेखा गुप्ता ने कहा, “हमारे पूर्वज स्वाभाविक रूप से सजग भोजन करते थे। सबसे बड़ा रहस्य यह है कि आपका तृप्ति केंद्र मस्तिष्क को पूर्णता का संकेत देने में पूरे 20 मिनट लेता है। यदि आप जल्दी खाते हैं, तो आप अनिवार्य रूप से अधिक खा लेते हैं। हमें धीरे-धीरे खाना चाहिए, अपने भोजन की खुशबू महसूस करनी चाहिए और अपनी पारंपरिक आहार शैली—संपूर्ण अनाज, मिलेट और हरे पत्तेदार सब्जियों— की ओर लौटना चाहिए।”

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