दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि लोगों को बार-बार कोर्ट आने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। एक बार डीपफेक से जुड़ा मामला सामने आने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को खुद ही एक्शन लेना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपफेक से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सूचना मिलने पर सभी फेक वीडियो खुद ही हटा देने चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने यूट्यूब को 48 घंटे के अंदर इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के फेक वीडियो हटाने का आदेश दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जब कोई व्यक्ति कहता है कि उसका डीपफेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया जा रहा है, तो प्लेटफॉर्म को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए और लोगों को बार-बार कोर्ट आने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि लोगों को इस तरह के मुद्दों के लिए कोर्ट में आने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए और वैधानिक तंत्र को काम करना चाहिए।
शिकायत निवारण का मंच बन रहा कोर्ट
जस्टिस अरोड़ा ने कहा कि डीपफेक के मामले अक्सर कोर्ट में आते हैं, जिनमें संबंधित व्यक्ति फेक वीडियो हटवाने के लिए अपील करता है। ऐसी घटनाओं के बार-बार होने से कोर्ट शिकायत निवारण मंच में बदल गया है। जस्टिस ने पूछा, “जब कोई पक्ष, जिसका डीपफेक बनाया जा रहा है, वह कहता है कि यह डीपफेक है, तो जांच का सवाल ही कहां है?” न्यायमूर्ति अरोड़ा ने कहा कि उन्हें 30 पृष्ठ का आदेश पारित करना पड़ा, जबकि इस मुद्दे को शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा दो पृष्ठों में निपटाया जा सकता था।
क्या है मामला?
पीठ ने यह टिप्पणी पत्रकार रजत शर्मा द्वारा यूट्यूब पर डीपफेक सामग्री को हटाने की मांग करते हुए पहले से लंबित व्यक्तित्व अधिकार मुकदमे में आवेदन दायर करने के बाद की। शर्मा ने न्यायालय से अनुरोध किया कि यूट्यूब को मुकदमे में पक्ष बनाया जाए तथा उनके डीपफेक बनाने और प्रसारित करने, निवेश सलाह देने और समाचार प्रचारित करने वाले कई यूट्यूब चैनलों को हटाने का आदेश दिया जाए।
48 घंटे के अंदर कार्रवाई करें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
मामले पर विचार करने के बाद, उच्च न्यायालय ने यूट्यूब को एक पक्ष बनाया और शर्मा द्वारा चिह्नित सामग्री को हटाने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि शर्मा के और अधिक डीपफेक वीडियो सामने आते हैं तो वे भविष्य में यूट्यूब से संपर्क कर सकते हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 48 घंटे के भीतर उन्हें हटाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

