जिला पलामू/बेंगलुरु:
कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों तो मुश्किल रास्ते भी आसान लगने लगते हैं। जिला पलामू के श्री जानेश्वर मोची
इलाके के 25 वर्षीय जितेंद्र जख्नी ने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत के बल पर यह साबित कर दिखाया है। दिनभर बेंगलुरु में मजदूरी करने वाले जितेंद्र, रात में भोजपुरी संगीत के सुरों में खो जाते हैं। उनकी कहानी आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।
संगीत की ओर पहला कदम
जितेंद्र जख्नी ने लगभग छह महीने पहले भोजपुरी गीत गाना शुरू किया। हाल ही में उनका पहला गाना रिलीज हुआ, जिसे श्रोताओं से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। जितेंद्र के गीतों में गाँव की मिट्टी की खुशबू और दिल की सच्चाई झलकती है। बेंगलुरु में काम करते हुए भी वह अपने हर खाली पल को संगीत साधना में समर्पित करते हैं।
परिवार की जिम्मेदारी और सपनों की उड़ान
जितेंद्र के परिवार में उनके माता-पिता, श्री जनेश्वर मोची, और दो छोटे भाई-बहन हैं। परिवार की सारी जिम्मेदारी जितेंद्र के कंधों पर है। वह दिनभर मेहनत करके घर का खर्च चलाते हैं, और रात में अपने गीतों के ज़रिए अपने सपनों को पंख देते हैं।
जितेंद्र भावुक होकर कहते हैं,
“ज़िंदगी आसान नहीं है, पर जब गाना गाता हूँ तो लगता है जैसे सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। सपना है कि एक दिन अपने जिला पलामू का नाम पूरे देश में रोशन करूं।”
भोजपुरी संगीत का नया चेहरा
जितेंद्र जख्नी की मेहनत और लगन यह साबित करती है कि सच्ची कला किसी बड़े मंच या नाम की मोहताज नहीं होती। छोटे कस्बे से निकला यह कलाकार यह दिखाता है कि अगर दिल में जज़्बा हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
भोजपुरी संगीत विशेषज्ञों का कहना है कि जितेंद्र जैसी प्रतिभा को मंच और उचित मार्गदर्शन मिले तो वह जल्द ही भोजपुरी संगीत की दुनिया में एक बड़ा नाम बन सकते हैं।
जितेंद्र जख्नी की कहानी यह संदेश देती है कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी हों, अगर मेहनत और जज़्बा साथ हो तो कोई भी सपना सच किया जा सकता है। जिला पलामू का यह युवा अपने संगीत और लगन के जरिए आने वाले समय में न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपने जिले के लिए भी गौरव लेकर आएगा।

