वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर मंगलवार को राज्यसभा में बहस हुई जबकि सोमवार को लोकसभा में बहस हुई थी.
लोकसभा में जहां इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी वहीं राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस चर्चा में भाग लिया.
पीएम मोदी की तरह अमित शाह ने भी इस चर्चा के दौरान कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया.
वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी को कांग्रेस की बुराई करने की आदत पड़ चुकी है.
अमित शाह ने दावा किया कि “अगर तुष्टिकरण की नीति के तहत (कांग्रेस पार्टी) वंदे मातरम के टुकड़े न करती तो देश का विभाजन न होता.”
खड़गे ने कहा, “हिंदू महासभा और आरएसएस ने ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में भाग नहीं लिया था. यही नहीं, इन्होंने भारत के संविधान की प्रतियां भी जला दी थीं.”
विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सोमवार को लोकसभा में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वो बेरोज़गारी-महंगाई जैसे असल मुद्दों से भागने के लिए ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा कर रही है. इन आरोपों पर भी अमित शाह ने अपनी बात रखी थी.
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि आज़ादी के 50 साल के बाद वंदे मातरम 100 साल का हो गया था लेकिन तब वंदे मातरम बोलने वाले सभी लोगों को इंदिरा गांधी ने जेल में बंद कर दिया था, इस देश में आपातकाल लगाया गया और विपक्ष के लाखों लोगों और समाजसेवियों को जेल में बंद कर दिया गया.
अमित शाह ने कहा कि तब अख़बार के दफ़्तरों पर ताले लग गए और आकाशवाणी से किशोर कुमार के गाने बंद हो गए थे.
उन्होंने कहा, “कल 150 साल पूरे हुए और लोकसभा में चर्चा हुई और जो वंदे मातरम कांग्रेस पार्टी के आज़ादी के आंदोलन का एक मंत्र बना था. इस वंदे मातरम के महिमामंडन के लिए जब लोकसभा में चर्चा हुई तब गांधी परिवार के दोनों सदस्य नदारद थे. वंदे मातरम का विरोध जवाहरलाल नेहरू से लेकर आज का कांग्रेस नेतृत्व करता है.”
सोमवार को लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान भी पीएम मोदी ने आपातकाल और जवाहरलाल नेहरू का ज़िक्र किया था.
लोकसभा में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा था कि “देश का ध्यान ज़रूरी मुद्दों से भटकाने के लिए सदन में ‘वंदे मातरम’ पर बहस की जा रही है.”
“आज देश बेहद मुश्किल में है. ऐसे में बेरोज़गारी, महंगाई, पेपरलीक जैसे मुद्दों पर सदन में चर्चा क्यों नहीं हो रही?”
प्रियंका गांधी ने कहा कि “बंगाल में चुनाव आने वाला है ऐसे में हमारे प्रधानमंत्री महोदय अपनी भूमिका बनाना चाहते हैं.”
मंगलवार को अमित शाह ने बिना प्रियंका गांधी का नाम लिए कहा, “मैं कल देख रहा था कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम को राजनीतिक हथकंडा और ध्यान भटकाने का हथियार बता रहे थे. मुद्दों पर चर्चा करने से कोई नहीं डरता है, संसद का बहिष्कार हम नहीं करते. संसद चलने दी जाए तो सभ मुद्दों पर चर्चा हो. किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए हम तैयार हैं. वंदे मातरम पर चर्चा को टालने की मानसिकता नहीं है.”
उन्होंने कहा, “कुछ लोगों को दिखता है कि बंगाल में चुनाव आने वाला है इसलिए चर्चा हो रही है. वंदे मातरम के महिमामंडन को बंगाल के चुनाव के साथ जोड़कर कम करना चाहते हैं. वंदे मातरम के रचनाकार बंकिम बाबू बंगाल में पैदा हुए और वहां गीत की रचना हुई और आनंदमठ जिस रचना में वंदे मातरम में समाहित हुआ लेकिन जब वंदे मातरम का प्रगटिकरण हुआ तब वो बंगाल तक सीमित नहीं रहा.”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश आर्थिक संकट, बेरोज़गारी और कई सामाजिक मुद्दों से जूझ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने सदन में इस पर चर्चा नहीं की, उनका ध्यान सिर्फ़ चुनावी प्रचार पर रहता है.
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने सदन में ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा सिर्फ़ इसलिए रखी है, क्योंकि बंगाल में चुनाव हैं. लेकिन पीएम मोदी इस ग़लतफ़हमी में न रहें कि वे रवींद्रनाथ टैगोर जी पर हमला करके असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका सकेंगे. भारत माता को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब सदन में जनता के मुद्दों और उनके समाधानों पर चर्चा हो.”
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “मैं सदन को याद दिलाना चाहूंगा कि हिंदू महासभा और आरएसएस ने ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में भाग नहीं लिया था. यही नहीं, इन्होंने भारत के संविधान की प्रतियां भी जला दी थीं. उन्हें आपत्ति थी कि बाबा साहेब ने जो संविधान बनाया था, वह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था, इसलिए आरएसएस के लोगों ने उसे मान्यता नहीं दी. यही नहीं, आरएसएस ने महात्मा गांधी जी, पंडित नेहरू जी और अंबेडकर जी के पुतले रामलीला मैदान में जलाया. यही आरएसएस-बीजेपी का इतिहास है.
वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि ‘वो आरएसएस के चार नेताओं के नाम बताए जो ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाकर जेल गए हों.’

