दक्षिण भारत में इसे कुछ लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तमिल वर्जन कह देते हैं. उत्तर भारत के लोग इसके बारे में कम ही जानते होंगे. तमिलनाडु में भी जब कोई विवाद मंदिर, धर्मांतरण या हिंदू आस्था से जुड़ा सामने आता है तब अचानक इस संगठन के लोग दिखते हैं. आखिर कैसा है हिंदू मुन्नानी संगठन.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कुछ मुद्दे अचानक आ जाते हैं. लोग भी नहीं समझ पाते, क्या हुआ. बंगाल में ‘बाबरी मस्जिद’ पर जिस तरह से तूफान खड़ा हुआ है, उसी तरह तमिलनाडु में एक पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम जलाने का मामला भभक रहा है. अब यह मंदिर की रस्म नहीं रही बल्कि मुद्दा पूरी तरह राजनीतिक हो चुका है. इस जगह पर प्राचीन मंदिर और दरगाह पास-पास हैं. अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं. ऐसे में मद्रास हाई कोर्ट के उस जज के खिलाफ महाभियोग की मांग कर दी गई, जिन्होंने पहाड़ी पर दीप जलाने की इजाजत दी थी. सीआईएसएफ के जवानों को मुरुगन मंदिर और दरगाह के बीच पत्थर को घेरना पड़ा. राज्य की डीएमके सरकार और उसके साथ इंडिया गठबंधन खड़ा है तो दूसरी तरफ हिंदूवादी संगठन और भाजपा. इसी में एक छोटा लेकिन राज्य का जाना पहचाना समूह आकर लड़ रहा है. ये लोग हिंदू मन्नानी से जुड़े हैं. कौन हैं ये लोग और यह संगठन अचानक कहां से आ गया?

