राज्य मंत्री शिवानंद पाटिल प्रदर्शन कर रहे गन्ना किसानों से मिलने पहुंचे थे। इसी दौरान कथित तौर पर किसानों ने उनकी गाड़ी में चप्पल फेंकी। पाटिल ने कहा कि गन्ने की कीमत तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है।
कर्नाटक में प्रदर्शनकारी गन्ना किसानों ने कथित तौर पर राज्य मंत्री शिवानंद पाटिल की कार पर चप्पल फेंक दी। वह 6 नवंबर को बेलगावी में प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने पहुंचे थे। जब वह लौटने लगे तो कथित तौर पर उनकी कार के ऊपर चप्पल फेंक दी गई। किसान गन्ने के लिए अधिक कीमत की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को उनके प्रदर्शन का नौवां दिन है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसानों और गन्ना मिल के मालिकों के साथ मीटिंग की है।
कर्नाटक के मंत्री शिवानंद पाटिल ने बेलगावी में प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात की। राष्ट्रीय राजमार्ग की संभावित नाकेबंदी की खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा, “मैं यहां अपील करने आया हूं, स्थिति को और न बिगाड़ें। गन्ने की कीमतें तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है। यह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) केंद्र द्वारा तय किया जाता है। केंद्रीय चीनी मंत्री, जो हमारे राज्य से हैं, उन्होंने अभी तक कोई पहल नहीं की है। इस मुद्दे को सुलझाने का अधिकार और जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास है।”
सीएम सिद्धारमैया ने की बैठक
पाटिल ने बताया था कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शुक्रवार को राज्य भर के सभी चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक करेंगे और अंतिम निर्णय वहीं लिया जाएगा। पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, “मुख्यमंत्री ने राज्य भर के सभी चीनी मिल मालिकों के साथ एक बैठक बुलाई है। वहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उस परिणाम के आधार पर, हम तय करेंगे कि अपने किसानों को सर्वोत्तम तरीके से कैसे समर्थन दिया जाए। किसानों का विरोध अब तक ईमानदार रहा है और हम उनके आंदोलन को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। मैं कल व्यक्तिगत रूप से विरोध स्थल का दौरा करूंगा।”
पीएम मोदी को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उत्तर कर्नाटक , विशेषकर बेलगावी , बागलकोट, विजयपुरा, विजयनगर, बीदर, गडग, हुबली-धारवाड़ और हावेरी जिलों में “गन्ना किसानों द्वारा जारी आंदोलन से उत्पन्न गंभीर स्थिति” पर चर्चा करने के लिए तत्काल समय मांगा है। मुख्यमंत्री ने 6 नवंबर को लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसानों और चीनी मिल मालिकों के बीच बातचीत के लिए लगातार प्रयास किए जाने के बावजूद आंदोलन तेज हो गया है और कृषक समुदाय में अशांति की भावना बढ़ रही है।
आंदोलन तेज कर सकते हैं किसान
किसान संगठनों ने संकेत दिया है कि अगर शुक्रवार की बैठक में कोई ठोस फैसला नहीं निकलता है, तो वे अपना आंदोलन और तेज कर सकते हैं। उद्योग जगत के हितधारकों के साथ मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक से आंदोलन की दिशा और किसानों के लिए संभावित राहत उपायों को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने की उम्मीद है।

