अंतरजातीय प्रेम विवाह की सजा! 14 महीने बाद भी गांव में एंट्री बैन, नवदंपती को मिल रही धमकियां

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ग्राम देवता महुआ टोला, पोस्ट-देकहा बाजार, मोतिहारी पूर्वी चम्पारण, मोतीहती, बिहार । जिले से जातिगत भेदभाव का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां अंतरजातीय प्रेम विवाह करने के कारण एक दंपती को अपने ही गांव में रहने नहीं दिया जा रहा है। पीड़ित सुनील कुमार पिता अनूप शाह और उनकी पत्नी पिंकू कुमारी पिता मुकेश महतो की शादी को 14 महीने हो चुके हैं, लेकिन आज भी उन्हें समाज और गांव के कुछ लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार, सुनील कुमार और पिंकू कुमारी की पहले करीब एक साल तक दोस्ती रही। इसके बाद दोनों ने आपसी सहमति से मुंबई में शादी की। पिंकू कुमारी की उम्र 23 वर्ष है और वह महतो समाज से आती हैं, जबकि सुनील कुमार शहाजी समाज से हैं, जो तेली समाज में गिने जाते हैं। यही जातिगत अंतर अब उनके सुखी दांपत्य जीवन के आड़े आ रहा है।

पीड़ित सुनील कुमार वर्तमान में मुंबई में रह रहे हैं। पिंकू कुमारी के साथ रह रहे है

उनका कहना है कि जब भी वे अपनी पत्नी के साथ गांव अपने माता पिता के पास लौटने की बात करते हैं, तो गांव के कुछ लोग खुलेआम धमकी देते हैं। उन्हें कहा जाता है कि तुम ऊंची जाति के होकर दूसरी जाति में शादी कर लाए हो, इसलिए तुम्हें गांव में रहने नहीं दिया जाएगा। यहां तक कि गांव में बने घर में भी प्रवेश करने से रोका जा रहा है।

सुनील कुमार ने बताया कि जब मैं अपनी पत्नी पिंकू कुमारी को भगा कर ले आया था तब मेरी एक बुलेट गाड़ी थी जिसकी सिर्फ मैं एक या दो किस्त नहीं दी थी जिस वजह से इन लोगों ने दबाव बनाकर फाइनेंस वालों को बात कर मेरी गाड़ी पकड़वा दी है

हेरानी की बात यह है कि दोनों परिवारों के बीच अब कोई विवाद नहीं है। पिंकू कुमारी के मायके वाले और सुनील कुमार के परिजन इस शादी को स्वीकार कर चुके हैं और आपस में बातचीत भी होती है। बावजूद इसके, गांव के कुछ लोग आज भी जाति को लेकर विरोध कर रहे हैं और सामाजिक बहिष्कार जैसी स्थिति बना दी गई है।
पीड़ित दंपती का कहना है कि लगातार मिल रही धमकियों के कारण वे मानसिक तनाव में जी रहे हैं। सुनील कुमार ने भावुक होते हुए कहा, “प्यार जाति देखकर नहीं किया जाता। प्यार किसी जाति या धर्म का मोहताज नहीं होता। जब हम दोनों एक-दूसरे के साथ खुश हैं और हमारे परिवार भी साथ हैं, तो हमें अपने ही गांव और घर में रहने से क्यों रोका जा रहा है?”
यह मामला समाज में आज भी मौजूद जातिगत सोच और भेदभाव को उजागर करता है। कानून जहां अंतरजातीय विवाह को पूरी तरह वैध और संरक्षित मानता है, वहीं जमीनी हकीकत में ऐसे जोड़े आज भी डर और असुरक्षा के साये में जीने को मजबूर हैं। पीड़ित दंपती ने प्रशासन से सुरक्षा और गांव में सम्मानपूर्वक रहने का अधिकार दिलाने की मांग की है।

 

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