मासिक काव्य गोष्ठी में कवि और शायरों ने बांधा समां, मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे एसएचओ बबीना

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बबीना-झांसी (उत्तर प्रदेश)। झांसी जिले के बबीना कस्बे में प्रत्येक माह की अंतिम तारीख को सुशील जैन शांति के निवास स्थान पर मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन विगत 12 वर्ष से अनवरत किया जा रहा है।
गुरुवार को भी यह काव्य गोष्टी महाकवि तुलसीदास जी के जन्म दिवस के उपलक्ष में आयोजित की गई। जिसमें बबीना बीएचईएल, खैलार और झांसी के कवि तथा शायरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बबीना थाना प्रभारी निरीक्षक तुलसीराम पांडे मौजूद रहे। तो वही अध्यक्षता सत्य प्रकाश ताम्रकार “सत्य” ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि तुलसीराम पांडे ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर विधिवत काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया इस अवसर पर उनके साथ गोष्टी के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ताम्रकार समेत संयोजक सुशील जैन शांति और अन्य कवि व शायर मौजूद रहे।
सुशील जैन शांति द्वारा मां सरस्वती की वंदना के साथ काव्य गोष्ठी का आगाज किया गया। सर्वप्रथम बबीना कस्बे के नवोदय कवि प्रवेश नायक ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा- “रवि शशि जैसा उज्जवल पर चंद्र लोक से आया नहीं।” वही राम बहादुर यादव “राधे राधे’ ने अपनी बुंदेली रचना में कहा- “अपनो बन गओ है कन्हैया साझेदार, काटेंगे दिन हिलमिल के।” बबीना के ही कव्वाल रामनाथ ने किसी दूसरे शायर की रचना पेश करते हुए कहा- ” अजनबी जान के सब ने मुझे पत्थर मारे। और तुमने मुझे पहचान के पत्थर मारे।।” झांसी से पधारे कवि प्रमोद खरे ने अपनी कविता में महाकवि तुलसीदास का महिमा मंडन करते हुए कहा- ” एक तुलसी की औषधि, एक तुलसी का ग्रंथ, एक हरे तन पात को, एक करे भव अंत।” बबीना के वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कवि मोहम्मद हनीफ अंकुर ने अपनी रचना में कहा- ” मां के आंचल के कसक का मोल आंकोगे भला, अक सके तो आंक लो।” आरिफ अली खेलारवी ने व्यंग्यात्मक शैली में रचना प्रस्तुत करते हुए कहा- “है हाथों में जिनके वतन की हिफाजत, वही कर रहे हैं आज उसकी तिजारत।” डॉ. मकीन सिद्दीकी ने शायरी प्रस्तुत करते हुए कहा- ” सूरज समझ रहे थे जिसे, वो चिराग था कुछ देर मेरे साथ जला और बुझ गया।” काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे संयोजक सुशील जैन शांति ने अपनी कविता में कहा कि- मेरी लाइने – ‘हसरत जीने की है मगर हैसियत अधूरी है, जिद जिंदगी पाने की है मगर हैसियत अधूरी है।” काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कवि सत्य प्रकाश ताम्रकार ‘सत्य’ ने अपनी रचना में कहा- “वंदउँ राजापुर धरा, वंदउँ आत्माराम, हुलसी को परनाम है, तुलसी को परनाम।” अंत में काव्य गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बबीना थाना प्रभारी निरीक्षक तुलसीराम पांडे ने सभी कवि और शायरों की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए कि इस प्रकार के आयोजनों से समाज की सोच को सकारात्मक किया जा सकता है। इसलिए ऐसे आयोजन होते रहना चाहिए। उन्होंने भविष्य में बबीना कस्बे में एक कवि सम्मेलन आयोजित करने की भी इच्छा व्यक्त की।
अंत में सभी का आभार आयोजक सुशील जैन शांति ने बबीना थाना प्रभारी निरीक्षक तुलसीराम पांडे को सॉल ओढ़ाकर कर सम्मानित किया, और सभी का आभार व्यक्त किया।
काव्य गोष्ठी में श्रोताओं के रूप में रमेश साहू, राजकुमार साहू, गुड्डन सोनी, मुलायम सिंह रजक, कांस्टेबल विनय सिंह, प्रदीप वाल्मीकि, महेंद्र सिंघई, महेंद्र जैन चकरपुर, मंगल सिंह यादव, सोनू यादव, बाबू गुप्ता, बच्चू साहू, प्रवीण कोतवाल, राम जी पाठक आदि मौजूद रहे।

ई खबर मीडिया के लिए मोहित साहू की रिपोर्ट

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