अररिया (बिहार): बिहार के अररिया जिले के खैरूगंज वार्ड नंबर 1 बंधमां पंचायत में मातम का माहौल है। गांव के 17 वर्षीय युवक मिठ्ठू कुमार, जो अपने परिवार का इकलौता सहारा था, की उड़ीसा में संदिग्ध हालात में मौत हो गई। मिठ्ठू रेलवे विभाग में पटरी सुधारने का काम करता था। लेकिन 23 जनवरी की शाम एक ऐसी घटना हुई जिसने परिवार की खुशियों को छीन लिया।
शाम करीब 6 बजे मिठ्ठू अपनी ड्यूटी खत्म करके घर लौट रहा था। इसी दौरान वह लापता हो गया। जब तक कोई उसे ढूंढने की कोशिश करता, अगली सुबह उसकी लाश रेल पटरी के पास झाड़ियों में पड़ी हुई मिली। इस घटना ने पूरे परिवार और गांव को हिला कर रख दिया।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
मिठ्ठू के पिता महेंद्र, जो खुद एक मामूली किसान हैं, इस खबर से टूट गए हैं। उनका कहना है, “मेरा बेटा ही हमारा सबकुछ था। वह अपनी कमाई से हमारे घर का खर्चा चला रहा था। अब हमारे पास न कोई सहारा है और न ही कोई उम्मीद।”
मिठ्ठू की मां, जो पहले से ही बोलने में असमर्थ हैं, इस घटना के बाद से बेजान हो गई हैं। गांववालों का कहना है कि वह दिन-रात अपने बेटे की तस्वीर हाथ में लिए बैठी रहती हैं।
परिवार ने जताई हत्या की आशंका
मिठ्ठू के मामा महेंद्र ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह महज एक हादसा नहीं हो सकता। मिठ्ठू एक जिम्मेदार लड़का था। रेल पटरी के आसपास काम करने का उसे पूरा अनुभव था। उसकी लाश जिस हालत में मिली, वह साफ तौर पर बताती है कि यह एक साजिश के तहत की गई हत्या है।”
परिवार का यह भी कहना है कि मिठ्ठू की मौत के पीछे किसी बड़ी साजिश का हाथ हो सकता है। उनका आरोप है कि कुछ लोग मिठ्ठू को जान से मारने की धमकी दे रहे थे, ताकि वह उड़ीसा में काम छोड़कर वापस गांव आ जाए।
गांव में शोक और गुस्सा
मिठ्ठू की मौत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक और गुस्से का माहौल बन गया। गांव के लोग सरकार और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए।

