कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर जूनियर की हत्या मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को जांच सौंपी गई। सीबीआई ने 165 दिनों में जांच पूरी कर संजय राव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की और न्यायालय ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में सीबीआई की निष्पक्षता और तेजी से कार्रवाई की सराहना की जा रही है।
वहीं दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के शहडोल स्थित श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर में महिलाओं की डिलीवरी और डायलिसिस के दौरान हुई संदिग्ध मौतों पर जांच के आदेश दिए गए। हाई कोर्ट के निर्देश पर सीएमएचओ एम. एस. सागर और डॉक्टर भूपेंद्र सिंह शेगर ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन रिपोर्ट को झूठा और पक्षपातपूर्ण बताया जा रहा है। आरोप है कि पूर्व सीएमएचओ डॉक्टर एस. सी. त्रिपाठी के राजनीतिक दबाव और प्रबंधक विजय द्विवेदी के प्रभाव के कारण ईमानदार जांच नहीं हो पाई। विजय द्विवेदी, जिन पर हत्या के आरोप हैं, अब भी आज़ाद घूम रहे हैं।
इसके साथ ही, मेरठ के केएमसी हॉस्पिटल का एक और गंभीर मामला सामने आया है। 2017 में इलाज कराने गई कविता नामक महिला की किडनी गायब होने का खुलासा हुआ। डॉक्टर सुनील गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन के दौरान महिला की एक किडनी निकाल ली और बाद में सबूत मिटाने की कोशिश की। कविता की शिकायत पर अब 2025 में कोर्ट के आदेश से केएमसी के छह डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।
यह घटनाएं दिखाती हैं कि कानून तो बनाए जा रहे हैं, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और प्रबंधन की मिलीभगत के कारण पीड़ितों को न्याय पाने में वर्षों लग जाते हैं। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
राजेश कुमार,विशनदासानी,शहडोल, मध्य प्रदेश।

