भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था: डॉक्टरों की लापरवाही से जिंदगियों से खिलवाड़

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जबलपुर: सुभाष चंद्र बोस मेडिकल हॉस्पिटल, जबलपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। ग्वारीघाट निवासी हार्ट पेशेंट इंद्रजीत शुक्ला को गंभीर हालत में भर्ती किया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू वेंटीलेटर पर रखा, लेकिन कुछ समय बाद मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई। परिजन पहले पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद सहमति दे दी।

जब इंद्रजीत शुक्ला के शव को पोस्टमार्टम सर्विस सेंटर ले जाया जा रहा था, तब उनके शरीर में हलचल देखी गई। परिजन तुरंत डॉक्टरों के पास दौड़े और बताया कि उनकी सांसें चल रही हैं। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें अन्य बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी, लेकिन 6 घंटे तक वेंटिलेटर से हटाने के कारण उनकी हालत बेहद गंभीर हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में सिर्फ जूनियर डॉक्टर थे और सीनियर डॉक्टरों की गैरमौजूदगी में मरीज को जल्दबाजी में मृत घोषित कर दिया गया।

झुंझुनू, राजस्थान: ऐसा ही मामला बीडीके सरकारी अस्पताल, झुंझुनू में सामने आया, जहां रोहताज नामक मूक-बधिर अनाथ को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम कर दिया गया। अनाथालय के लोग जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि उसकी सांसें चल रही थीं। घबराकर वे दोबारा अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे फिर से भर्ती किया।

शहडोल, मध्य प्रदेश: श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर नामक प्राइवेट अस्पताल में भी बिना डिग्री के डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने और डिलीवरी एवं डायलिसिस के दौरान महिलाओं की मौत होने की शिकायतें लगातार आ रही हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सीएमएचओ एम.एस. सागर ने झूठी रिपोर्ट पेश कर जांच को प्रभावित किया।

मेरठ, उत्तर प्रदेश: केएमसी प्राइवेट अस्पताल में एक और दर्दनाक मामला सामने आया। 2017 में महिला कविता का ऑपरेशन किया गया, लेकिन 2022 में जब उसने दूसरी जगह अल्ट्रासाउंड करवाया, तो पता चला कि उसकी एक किडनी गायब थी। डॉक्टर सुनील गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने पुराने मेडिकल दस्तावेज नष्ट कर दिए। महिला ने पुलिस प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अदालत के आदेश के बाद अब छह डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज की गई है।

इन घटनाओं ने भारत की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है और सरकारी अस्पतालों में भी लापरवाही के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी और डॉक्टरों की मिलीभगत के चलते पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा है। क्या भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति सुधरेगी, या इसी तरह मरीजों की जान से खिलवाड़ होता रहेगा?

लोकसभा राज्यसभा में सांसद लोग जब नए कानून बना देते हैं तो चिल्ला चिल्ला कर बोलेंगे कि भारतवर्ष में नया कानून आ गया है उन नेताओं को यह नहीं दिखाई पड़ता है कि गूंगे बहरे रोहताज जैसे जीवित मरीज को मृत्यु घोषित कर देते हैं क्योंकि नेता लोग भी गूंगे बहरे और अंधे हो जाते हैं और उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है

राजेश कुमार बिशनदासानी शहडोल मध्य प्रदेश।

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